रमना: प्रखंड में पशुपालकों को पशुपालन को लेकर बढ़ावा पशुपालन को अपना कर आर्थिक उन्नति करने गांव में ही लोगों को स्व रोजगार को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2005 में ही पशु चिकित्सालय का शुरुआत किया गया था, जिससे पशुपालको को हर मदद मिले।प्रारम्भ के कुछ वर्ष तक ग्रामीण पशुपालकों को इसका लाभ भी मिला था,लेकिन बाद में पशुचिकित्सालय भवन को पुलिस पदाधिकारी के निवास हेतु उपयोग किया जाने लगा तो, पशुपालकों को पशुपालन सम्बन्धित जानकारी और पशु चिकित्सा कि सुविधा से पशुपालक वंचित हो गये। नये थाना भवन बनने के बाद गत दो वर्षो से पशुपालकों को, पशु चिकित्सा, पशुओं के लिए मुफ्त दावा और पशुपालन सम्बंधित समस्या से पशुपालकों को निःशुल्क सलाह भ्रमण शील चिकित्सक चंदन कुमार चौधरी द्वारा दिया जा रहा।
पशुपालकों को इस विभाग द्वारा दिया जा रहा सुविधा के बारे में भ्रमणशील चिकित्सक ने बताया कि गाय को पाल देने का शुल्क सरकार द्वारा 100 रुपए तय किया गया है, बाकी सभी टीकाकरण दवाई इत्यादि सुविधा पशुपालकों को निःशुल्क दिया जाता है। बरसात के मौसम में पशुओं को खुरहा, चपका और पशु चेचक होने कि संभावना होती है जिसको देखते हुए टीकाकरण का कार्य गांव टोला में हो रहा है, साथ ही जिन पशुओं का टीकाकरण हो रहा है उसके कान में टैग करना है। साथ ही उन्होंने सभी पशुपालकों से अपील किया है कि पशुओं को हार माह कीड़ा का दवाई जरूर दें सात आठ माह के गाभिन पशुओं को छोड़कर।
प्रखंड परिसर के अंतिम छोर पर स्थित इस केंद्र में आने जाने कि घोर समस्या है, नया आवास बनने के बाद पदाधिकारियों के आवास का घेरा बंदी कर दिया गया है जिससे इस केंद्र में पशुपालको को जान जोखिम में डालकर नव निर्मित शौचालय के ढक्क्न रहित टंकी के ऊपर से आना जाना पड़ता है। इस संकिर्ण और जोखिम भरा रास्ता से ही चिकित्सक और पशुपालको का आना जाना करना पड़ता है। संवेदक द्वारा छोड़े गये रास्ते में बड़े बड़े झाड़ियों का अम्बार लगा है इससे जाना बहुत ही कठिन है।