बेहतर सेवा देकर ‘जीवन रक्षक’ की भूमिका निभाएं एंबुलेंस कर्मी : एसडीएम
अनुप सिंह
बुधवार को क्षेत्र के एम्बुलेंस चालकों ने गढ़वा सदर एसडीएम संजय कुमार के नियमित संवाद कार्यक्रम “कॉफ़ी विद एसडीएम” में भाग लिया। इस अवसर पर एम्बुलेंस कर्मियों ने अपनी व्यावहारिक समस्याओं के साथ-साथ व्यक्तिगत समस्याएँ भी एसडीएम के समक्ष रखीं। एसडीएम ने इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाने और उचित दिशा में प्रयास करने का भरोसा दिलाया।
अनियमित मानदेय
एंबुलेंस चालकों ने बताया कि उन्हें एजेंसी द्वारा नियमित रूप से वेतन नहीं मिलता। कई बार उनका वेतन उनकी मेहनत के अनुसार समानुपाती नहीं होता। कभी-कभी उन्हें एक दिन का ₹100 से भी कम भुगतान प्राप्त होता है। इसके अलावा, एजेंसी कुछ पैसे हमेशा अपने पास रोक रखती है, जिससे चालकों पर तनाव बना रहता है।
108 एम्बुलेंस सेवा से जुड़े कर्मियों के संघ के अध्यक्ष, नीरज तिवारी, ने इस विषय पर प्रशासनिक हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।
सुरक्षा किट की मांग
कुछ एम्बुलेंस कर्मियों ने सुरक्षा किट की मांग भी उठाई। उन्होंने बताया कि जब वे किसी मरीज को उठाने जाते हैं, तो उन्हें नंगे हाथ काम करना पड़ता है, उनके हाथ में ग्लव्स नहीं होते और मास्क भी नहीं मिलता। इससे उनकी स्वयं की सुरक्षा खतरे में रहती है, लेकिन मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पड़ता है। उन्होंने अनुरोध किया कि इस प्रकार की सुरक्षा किट उपलब्ध करवाई जाए।
मेराल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिनियुक्त एम्बुलेंस कर्मी सत्येंद्र चौधरी सहित कुछ अन्य चालकों ने बताया कि उनकी गाड़ी खराब है। एमवीआई से जांच भी हो गई है, लेकिन मरम्मत न होने के कारण गाड़ी अभी भी खराब पड़ी है। इसी प्रकार कई अन्य एम्बुलेंस कर्मियों ने भी बताया कि यदि गाड़ी की मरम्मत भी हो जाती है, लेकिन भुगतान न होने के कारण मैकेनिक उसे अपने पास ही कई हफ्तों तक रखता है, जिससे कार्य प्रभावित होता है।
निजी एम्बुलेंस निर्धारित शुल्क ही लें
संजय कुमार ने सभी निजी एम्बुलेंस संचालकों को निर्देश दिया कि वे किसी भी रोगी से निर्धारित राशि से अधिक शुल्क न लें। साथ ही रोगी को गंतव्य स्थल से पहले छोड़ने की कोई शिकायत न मिले। इस पर निजी एम्बुलेंस संचालक प्रतिनिधि वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि निजी एम्बुलेंस भी नंबर से चलती हैं और सभी प्रमुख शहरों का किराया पहले से ही प्रशासन द्वारा तय है, जिससे वे कभी अधिक नहीं लेते। उन्होंने बताया कि कई बार उन्हें रिम्स में मरीजों को लेकर जाना पड़ता है, जहां के एम्बुलेंस यूनियन के दबाव में मरीज को तुरंत छोड़कर आना पड़ता है, लेकिन रास्ते में कभी मरीज को नहीं छोड़ा जाता।
सड़क दुर्घटना के घायल व्यक्तियों की मदद करें
एसडीएम ने सभी एम्बुलेंस चालकों से कहा कि वे अधिकांश समय सड़क पर ही रहते हैं। ऐसे में यदि रास्ते में कोई सड़क दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति दिख जाए तो वे स्वेच्छा से अपनी गाड़ी रोककर, यदि संभव हो, उसे भी सहायता प्रदान करें। इस पर एम्बुलेंस चालक रितेश रंजन, वकील ठाकुर, सुजित पासवान आदि ने बताया कि उन्होंने कई बार ऐसा किया है। जब वे खाली एम्बुलेंस लेकर कहीं से लौट रहे थे और रास्ते में कोई दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति दिखा, तो उन्होंने बिना किसी की मदद लिए उसे अस्पताल पहुँचाया। इस पर एसडीएम ने इन लोगों के प्रयासों के लिए सभाकक्ष में तालियां बजवाईं।
अस्पताल कर्मियों से मदद न मिलने की समस्या
कुछ एम्बुलेंस चालकों ने बताया कि जब वे किसी मरीज को उठाते या ले आते हैं, तो उन्हें अकेले ही मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी या होमगार्ड उनकी मदद नहीं करते। ऐसे में उन्होंने अनुरोध किया कि अस्पताल कर्मियों को निर्देशित किया जाए कि वे भी मरीज को लाने ले जाने के दौरान एंबुलेंस में चढ़ने उतरने में सहयोग दें।
रहन-सहन की न्यूनतम आवश्यकताएँ मिलें
अधिकतर एम्बुलेंस कर्मियों ने बताया कि जहाँ उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों के आस-पास रहने के लिए जगह दी गई है, वहाँ शौचालय, पेयजल आदि की दिक्कतें हैं। कई बार तो पानी भी नहीं मिलता और विपरीत परिस्थितियों में रहना पड़ता है। इससे कर्मचारी कभी-कभी निराश हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उनके लिए न्यूनतम रहने की आवश्यकताएँ प्रदान की जाएँ। इस पर एसडीएम ने कहा कि उनकी समस्याओं को संबंधित पदाधिकारी तक पहुँचाया जाएगा।
“राह वीर” योजना के बारे में जानकारी
संजय कुमार ने सभी को जानकारी दी कि यदि वे किसी घायल व्यक्ति की स्वेच्छा से मदद कर उसे अस्पताल पहुँचाते हैं, तो उनके प्रयासों के लिए उन्हें नगद राशि से पुरस्कृत किया जाएगा और विभिन्न अवसरों पर सार्वजनिक रूप से सम्मानित भी किया जाएगा।
एम्बुलेंस कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण
एसडीएम ने उपस्थित सभी एम्बुलेंस कर्मियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि उन्हें बहुत जिम्मेदार ड्यूटी निभानी होती है। कई बार उनकी तत्परता से लोगों की जान बचती है, इसलिए वे किसी जीवनरक्षक से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस नेक कार्य से जुड़े सभी लोग ईमानदारी और मनोयोग से अपना दायित्व निभाएँ, प्रशासनिक स्तर से उन्हें आवश्यक मदद प्रदान की जाएगी।
सहभागिता
इस संवाद में न केवल 108 सेवा के एम्बुलेंस कर्मी उपस्थित हुए, बल्कि निजी एम्बुलेंस कर्मी, सरकारी विभाग के एम्बुलेंस कर्मी, इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा संचालित एम्बुलेंस के कर्मी तथा ममता वाहन के कर्मी भी मौजूद रहे।