10 Dec 2025, Wed

पारा पेट निर्माण को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों ने कड़े शब्दों में नाराज़गी जताई

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अनुप सिंह

कांडी:प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत चौबे मझिगावां पंचायत में बन रहे कालीकरण सड़क पर बन रहे केरवा नदी के पुलिया के किनारे पारा पेट निर्माण को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों ने कड़े शब्दों में नाराज़गी जताई है। उक्त निर्माण कार्य नंदनी कंट्रक्शन के द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणों तथा जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि कार्य में निम्न गुणवत्ता की ईंट एवं खराब किस्म के बालू का प्रयोग कर संवेदक द्वारा सुरक्षा कार्य को मज़ाक बना दिया गया है।

कांडी–केतार फेज-1 के अंतर्गत आज़ाद नगर से मुशहरवा डेरा होते हुए पुनः कोल्ह रोड तक कालीकरण सड़क निर्माण कार्य किया गया है। इसी क्रम में आज़ाद नगर के समीप केरवा नदी पर बनी पुलिया के किनारे पारा पेट का निर्माण किया जा रहा है। इस क्षेत्र के वार्ड सदस्य सुनीता देवी ने स्पष्ट कहा कि “पारा पेट में लगाए जा रहे ईंट और बालू गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरते, जिससे निर्माण मजबूती हासिल नहीं कर पाएगा।” साथ ही यह भी कहा कि सड़क निर्माण कार्य हेतु विभाग के द्वारा निर्धारित राशि का कंट्रेक्टर के द्वारा निकासी होने के वावजूद भी कार्य को सही नहीं किया जा रहा है। विभाग के द्वारा बताई गई बात बिल्कुल ही अचंभित करता है कि कंट्रेक्टर आपने खर्च से पारा पेट का निर्माण करा रहा है। इसमें अचंभित करने वाली बात गजब का है कि आखिर कांट्रेक्टर किस परिस्थिति में निर्माण कार्य कों अपने खर्च से करा रहा है। आखिर घटिया निर्माण कार्य से तो अच्छा था कि कार्य ही नहीं करना चाहिए ।

पंचायत की मुखिया प्रतिनिधि शंभूनाथ साह ने कहा “जिस उद्देश्य से पारा पेट लगाया जा रहा है, उसी उद्देश्य पर यह निर्माण पानी फेर रहा है। राहगीरों की सुरक्षा हेतु बनाई जा रही संरचना ही यदि कमजोर हो, तो यह भविष्य में गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकती है।”

जब इस संबंध में विभागीय पूछताछ की गई तो विभाग के जेई सरयू कुमार ने कहा कि “यह निर्माण कार्य नंदनी कंट्रक्शन के संवेदक द्वारा अपनी निजी राशि (निजी खर्च) से कराया जा रहा है, क्योंकि डीपीआर में इसका प्रावधान नहीं है। संवेदक हमारे अनुरोध पर इसे अपने खर्च से कर रहा है ताकि राहगीरों को सुविधा मिल सके।”

जबकि ग्रामीणों ने इस बयान को हास्यास्पद बताते हुए सवाल उठाया कि “जब संवेदक को कार्य हेतु निर्धारित राशि पहले ही जारी होती है, तो वह चार से पाँच लाख रुपये अपनी जेब से लगाने की उदारता अचानक कैसे दिखा रहा है? विभागीय अधिकारी के निर्देश पर निजी राशि खर्च करने की बात कहीं से भी विश्वसनीय नहीं लगती।” ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही और पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है। इस दौरान उपमुखिया श्रवण पासवान, पंचायत समिति सदस्य पति सुनील यादव, मुकेश चौबे, अरविंद शर्मा, अरुण मिश्रा, हैप्पी चौबे, सुग्रीव रजवार, बाचा राम समेत कई ग्रामीण उपस्थित थे। ग्रामीणों ने मांग की है कि निर्माण कार्य की निष्पक्ष जांच कराई जाए और संबंधित संवेदक तथा विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

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