रमना प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में एक बहुत बड़ी आबादी पशुपालन करके अपना जीवन यापन करता है। पशुपालन ही इनका मुख्य व्यवसाय है। पशुपालन को बढ़ावा देने लोगो के पालायन रोकने और आमदनी बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना शुरू किया गया। जिसमें पशुपालकों को 50% से 100% तक का सब्सिडी सरकार देती है। ताकि कोई भी गरीब पशुपालक इस योजना का लाभ उठाकर अपनी जीवन को बेहतर बनाए और गांव समाज के विकास में मुख्य भूमिका निभाए।
लेकिन यह योजना भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार का भेट चढ़ गया है। रमना प्रखंड अंतर्गत इस योजना में घोर अनियमितता बरती गई जिससे इस क्षेत्र के पशुपालकों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिला और गब्य विकास कार्यालय के मिली भगत से इस योजना को खूब लूटा गया है। जिससे ग्रामीणों क्षेत्रों मे इस योजना का लाभ पशुपालको को नहीं मिल सका।
इस योजना के माध्यम से सरकार पशुपालकों को दुधारू गाय-भैंस एवं पशु कार्य से संबंधित उपकारण,पशु बीमा,बकरी पालन, बत्तख पालन,मुर्गी पालन एवं सुअर पालन को बढ़ावा देने के लिए 50% से 100% तक अनुदान देती जिसका लाभ उठा करके पशुपालक अपने जीवन स्तर को बेहतर कर सके। लेकिन इस योजना में भ्रष्टाचार के कारण इस क्षेत्र के पशुपालक को सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा नहीं मिल सकी।
इस सम्बन्ध में गुप्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दूधारु मावेशी, बकरी, सुकर, मुर्गी, बतख एवं पशुपालन कार्य से सम्बंधित मशीनों उपकारणों के वितरण में घोर गड़बड़ी हुआ है। इसमें पशुपालको को इस योजना का लाभ न देकर वैसे लोगों को चयनित कर उनके नाम पर पैसे निकासी किए गए हैं जो पशुपालन से कोसों दूर है।और करोडो कि राशि का बंदरबाँट हो गया।
इस संबंध में सीओ सह बीडीओ विकास पाण्डेय ने बताये कि मुख्य मंत्री पशुधन विकास योजना में जाँच हेतु निर्देश प्राप्त हुआ था। निर्देशनुसार चिन्हित पंचायतो के लाभुकों का जाँच कर रिपोर्ट गब्य विकास को भेज दिया गया है।