*उमेश कुमार- आजादी के 78 वर्ष बाद भी गरीब मजदूर मौलिक अधिकारों से आज भी वंचित हैं। रमना प्रखंड के लिए पलायन अभिशाप है। इस क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने के कारण अधिकांश पुरुष रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं,घर में महिलायें छोटे बच्चों के साथ रहती हैं। जो अचानक आये दिन किसी न किसी मुसीबत में निशहाय हो जाते हैं। पुरी तरह से सरकारी सुविधा पर निर्भर रहते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सुविधा भी ग़रीबों के लिए डूबते को तिनके का सहारा है, लेकिन यह सुविधा भी गरीबों को मजाक ही उडता है, और गरीब मजदूर इस स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार से आज भी वंचित हैं।
घटना मर्माहत करने वाली घटी घटना टंडवा पंचायत के महिला पूनम देवी के अचानक प्रशव पीड़ा शुरू हो गयी। उनके पति मजदूरी करने दुसरे प्रदेश गए हैं, और घर पर बूढी सास- ससुर के साथ रहती हैं । सास नागवंती देवी आनन- फानन में प्रशव पीड़ा से पीड़ित पूनम को लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र टंडवा दोपहर एक बजे पहुंची, लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र बंद होने की वजह से बाहर ही करकट के शेड में लेटा दी और स्वास्थ्य केंद्र खुलने का इंतजार करने लगी, और प्रशव पीड़ा से पूनम कराहती रही। काफी देर तक ज़ब कोई भी नहीं आया तो सवा दो बजे राहगीरों और पंचायत में उपस्थित लोगों से सास ने इस केंद्र के खुलने के बारे में पूछा। तब उस समय पिएलवी राकेश कुमार ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सम्पर्क कर जानकारी ली तो पता चला की इस केंद्र के पदस्थापित एन एम सविता देवी व सीएचओ डिप्टी से नदारत हैं,तब ममता वाहन को कॉल कर प्रशव पीड़ा से पीड़ित पूनम को सामुदायिक केंद्र भेजा गया।
सवाल यह हैं की क्या सीएचओ के अवकाश के बाद इस केंद्र मे एन एम सविता देवी उप स्वास्थ्य केंद्र को बंद रखी हैं यदी बंद रखना हैं तो केंद्र बंद रखने की कोई सुचना क्यों नहीं लगाया गया। वहीं इस संबंध पदाधिकारी का बेतुका बयान भी सामने आया है।
जब इस सम्बन्ध में उपाधीक्षक चिकित्सा पदाधिकारी सुचित्रा कुमारी ने बतायी की इस केंद्र के एएनएम की ऑपरेशन हुआ हैं वो छुट्टी में हैं व सीएचओ 9 से तीन रहते हैं। केंद्र बंद होने के बारे में पूछा तो बोली की रमना कितना दूर है वहां भेजवा नहीं सकते और फोन काट दी।