रमना प्रखंड के सिलीदाग पंचायत अंतर्गत 1883 में स्थापित राज्यकीय मध्य विद्यालय सिलीदाग 02 अपने अस्तित्व के 143 वर्ष व आजादी के 78 वें वर्ष में आज भी विकास का राह निहार रहा है। इस सरकारी विद्यालय में 21वीं सदी में भी सुनियोजित भवन चार दीवारी का घोर आभाव है, जिससे विद्यालय परिचालन के समय भी अगल-बगल के लोगो का आना- जाना लगा रहता है, साथ ही अगल-बगल के असमाजिक लोग ने मवेशी व बकरियो को विद्यालय भवन में बांधते है जिससे विद्यालय परिवेश प्रतिकूल बना रहता है।इस अव्यवस्था से भूमि दाता के वंशज काफी उदास है, की जिस उद्देश्य से उनके पूर्वजो ने भूमि दी उसकी पूर्ति आज भी नहीं हो पा रहा है।
सिलीदाग पंचायत के दूधमनिया निवासी जमींदार स्वर्गीय मुनेश्वर सिंह ने इस क्षेत्र के लोगो को सुगम शिक्षा व्यवस्था के लिए भूमि दान दिया था, जिससे की ग्रामीण क्षेत्र के लोगो को समुचित सुगम शिक्षा मिल सके। गांव समाज का विकास हो इससे पूर्व में विद्यालय इस पंचायत के लिए आया था लेकिन भूमि नहीं मिल पाने के कारण उस समय सिलीदाग में बनने वाला विद्यालय मड़वनिया पंचायत में बना जिसका नाम मध्य विद्यालय सिलीदाग 01 हुआ,इस ग्राम के नाम पर विद्यालय बन गया जो इस ग्राम के लोगो के पहुँच से दूर था उस समय अच्छी सड़क और यातायात की सुविधा नहीं थी जिससे इस पंचायत के लोगो को शिक्षा प्राप्त करने में घोर समस्या होती थी। उक्त समस्या को देखते हुए स्वर्गीय मुनेश्वर सिंह ने विद्यालय के लिए भूमि दान दिया। मध्य विद्यालय सिलीदाग 02 का स्थापना हुआ। इस विद्यालय में अगल बगल के विद्यार्थी तब शिक्षा ग्रहण करते आ रहे है।
लेकिन आज इस विद्यालय के सामने विकट समस्या खड़ी हो गयी है क्योंकि विद्यालय भूमि का बेतहासा अगल बगल के ग्रामीणों द्वारा शिक्षा विभाग के भूमि का अतिक्रमण कर लिया गया है जिससे विद्यालय का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है और पठन-पाठन के साथ ही साथ बच्चों के खेलने कूदने का भी जगह नहीं है जिससे इस विद्यालय के प्रतिभावान गरीब मजदूर के बच्चों की प्रतिभा कुंठित हो रही है।
विद्यालय भूमि के कागजात के अनुसार कुल रकबा एक एकड़ 37 डिसमिल है जिसमे करीब 46 डिसमिल भूमि पर कुछ ग्रामीणों ने अवैध कब्जा कर लिया है। जिस कारण इस विद्यालय का चारदिवारी का निर्माण नहीं हो पा रहा है, जिससे विद्यालय समय के बाद विद्यालय असमाजिक लोगो का अड्डा बना रहता है।
विद्यालय भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पूर्व में भी नापी हुआ था और अतिक्रमण कारी को नोटिस भी दिया गया था लेकिन इसके बाद कोई कारवाई नहीं हुआ, भूमि मापी, सीमांकन और अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा आवेदन दिया गया था, जिसके बाद नापी हुआ, जिसमे मोती राम, भगत राम, बचा राम, दुःखी राम, सुकठ राम, दुःख हरण राम, सोमारु राम तथा अमीरका राम द्वारा विद्यालय भूमि पर अवैध कब्जा पाया गया।
इस सम्बन्ध में अंचलाधिकारी विकास पाण्डेय ने बताया की कर्मचारी द्वारा विद्यालय नापी का विवरण दिया गया है जिसमे कुछ कमी पायी गयी इसे सुधारने का निर्देश दिया गया है।