क्या गरीब मजदूर के बच्चे अच्छे शिक्षा के हकदार नहीं, क्या ये लोग देश के विकास में भागीदार नहीं कि इनको अमृत रूपी शिक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा है।
उमेश कुमार
रमना सुदूर वर्ती किसी भी गांव, समाज, राज्य और देश के विकास में अहम भूमिका निभाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा है। समुचित शिक्षा से ही गांव,समाज राज्य और देश का संपूर्ण विकास हो सकता है।सरकार द्वारा सत प्रतिशत शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु शिक्षण संस्थानों को आधुनिक सुविधा मुहैया करा रहा है लेकिन आज भी ग्रामीण इलाकों में बहुत सारे ऐसे विद्यालय हैं,जो आधुनिक सुविधा और अच्छी शिक्षा से कोशो दूर है साथ ही शिक्षकों के अभाव में बच्चों को समुचित शिक्षा नहीं मिल पा रहा है।जैसे तैसे शिक्षा व्यवस्था में केवल खाना पूर्ति किया जा रहा है।
गम्हारिया पंचायत के केरवा मानदोहार मध्य विद्यालय में 152 अध्ययनरत विधार्थियो के लिए केवल दो सहायक अध्यापक के भरोसे वर्ग एक से आठ तक के बच्चों का शिक्षण कार्य संचालित होता है। इस विद्यालय में अनुसूचित जनजाति के 103 अन्य पिछड़ा वर्ग के 49 एवं अनुसूचित जाती के 12 विधार्थी अध्ययनरत है। वर्गानुसार कमसे कम इस विद्यालय में आठ शिक्षकों का होना चाहिए। लेकिन दो सहायक अध्यापक इस विद्यालय को चलाते है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गरीब मजदूर के बच्चों को कितनी बेहतर शिक्षा दी जा रही है।
दो शिक्षकों में भी एक शिक्षक कार्यालय में बैठे थे एवं एक शिक्षक का कोई अता पता नहीं था।रसोई घर होते हुए एमडीएम बाहर लकड़ी के चूल्हा पर बनाया जा रहा था। बच्चे वर्ग में बिना अध्यापक के ही बैठे थे एवं कुछ बच्चे बरामदे में टहल रहे थे।
इस विद्यालय में बच्चों को पिने के लिए समुचित पानी का व्यवस्था नहीं है। वर्षो पुराना एक चपा नल लगा उसी के सहारे सभी बच्चे पानी पीते है। इस विद्यालय में समुचित शुलभ शौचालय का भी व्यवस्था नहीं है।
इस सम्बन्ध में प्रधान सहायक अध्ययपाक गोपाल राम ने बताए कि रेल प्रोजेक्ट परीक्षा चल रहा, जिसके लिए सहयोगी शिक्षिका प्रश्न पत्र तैयार कर रही है, गैस नहीं मिलने के कारण एमडीएम का भोजन दो दिनों से बाहर बनाया जा रहा है।