कांडी-प्रखण्ड के सरकोनी पंचायत अंतर्गत सरकोनी गाँव में लाखों रुपए की लागत से तैयार आयुष्मान आरोग्य मंदिर अस्पताल पूर्ण रूप से जर्जर हो चुका है। विदित हो की उक्त भवन 2017 में ही संवेदक के द्वारा संबंधित विभाग को सौप दिया गया था। जिसके बावजूद भी आयुष्मान आरोग्य मंदिर सुचारू रूप से चालू नहीं हो पाया।उक्त अस्पताल जो एक सरकारी स्वास्थ्य सेवा लोगों को प्रदान करता है। ये केंद्र सार्वभौमिक और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिसमें दवाइयाँ और बुनियादी जांचें शामिल हैं, ताकि लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के लिए बड़े अस्पतालों में न जाना पड़े इनका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं को समुदाय के करीब लाना है, ताकि लोगों को अपने घर के पास ही स्वास्थ्य सुविधाएँ मिल सकें। अगर ये अस्पताल सुचारू रूप से चालू होता तो आसपास के लगभग दर्जनों गांवो के लोगों को प्राथमिक उपचार के लिए अपने घर से पांच किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय तक जाने में होने वाली समस्यायों का सामना नही करना पड़ता लेकिन स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही के कारण इस अस्पताल का ताला अभी तक नहीं खुल पाया।
ग्रामीण हरिहर मेहता ,नंदिकेश्वर मिस्त्री,मानदेव पासवान, चंद्रशेखर पाण्डेय ने कहा कि उक्त अस्पताल के निर्माण होने से यहां के लोगों को कोई लाभ नही मिल सका।आज भी यहां के लोग झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे जिंदा हैं।सरकोनी पंचायत के मुखिया सुबोध कुमार वर्मा ने बताया की इस आयुष्मान आरोग्य मंदिर अस्पताल में सेवा बहाल कराने के लिए जाने कितनी बार गढ़वा के पूर्व सिविल सर्जन को आवेदन देकर अवगत भी करवाया गया लेकिन उनके द्वारा अबतक इस सम्बंध में कोई भी ठोस पहल नही की गई जिससे यहां के ग्रामीणों को उसकी सुविधा मिल सके। विभाग के लापरवाही के वजह से किसी दिन बड़ी घटना घटने की आसंका है आखिर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इतनी बड़ी लापरवाही कब तक बरती जायेगी। इस सम्बंध में गढ़वा सिबिल सर्जन जे एफ कनेडी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया की स्टाफ की कमी होने के वजह से संबंधित आयुष्मान आरोग्य मन्दिर में उपचार नही हो रहा है बहुत जल्द मामले को संज्ञान में लेते हुए स्टाफ उपलब्ध कराई जाएगी।